दृष्टिकोण
यह सुनिश्चित करना कि “सभी के लिए न्याय तक पहुंच” केवल एक संवैधानिक वादा न रह जाए, अपितु हिमाचल प्रदेश के प्रत्येक नागरिक, विशेष रूप से समाज के वंचित और कमजोर वर्गों के लिए एक व्यावहारिक सच्चाई बने।
हिमाचल प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण एक समावेशी और प्रभावी विधिक सेवा तंत्र को बढ़ावा देते हुए ऐसे न्यायपूर्ण समाज की परिकल्पना करता है, जहाँ कोई भी व्यक्ति आर्थिक, सामाजिक, भौगोलिक अथवा अन्य किसी भी प्रकार की असुविधा के कारण न्याय से वंचित न रहे।
न्यायपालिका, प्रशासन, समाज तथा विधिक पेशेवरों के सहयोग से, हिमाचल प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण का उद्देश्य विधिक जागरूकता को सुदृढ़ करना, विधिक सहायता को सुलभ बनाना, तथा वैकल्पिक विवाद समाधान विधियों को प्रदेश के दूरस्थ पहाड़ी क्षेत्रों और घाटियों तक पहुँचाना है।
लक्ष्य
- समाज के कमजोर एवं वंचित वर्गों को विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 के तहत प्रदत्त दायित्वों के अनुरूप नि:शुल्क एवं सक्षम विधिक सहायता एवं सेवाएं प्रदान करना।
- हिमाचल प्रदेश की सामाजिक-सांस्कृतिक एवं भौगोलिक परिस्थितियों के अनुरूप विधिक साक्षरता, जागरूकता एवं सशक्तिकरण कार्यक्रमों के माध्यम से न्याय की पहुँच का विस्तार करना।
- जिला एवं उप-मंडल स्तर पर लोक अदालतों एवं मध्यस्थता जैसी वैकल्पिक विवाद समाधान (ADR) प्रणालियों को विकसित एवं सुदृढ़ कर, त्वरित एवं किफायती न्याय सुनिश्चित करना।
- लाभार्थियों और सरकारी कल्याणकारी योजनाओं के बीच सेतु का कार्य करते हुए, कानूनी सहायता एवं जागरूकता के माध्यम से योजनाओं का लाभ वास्तविक हितग्राहियों तक पहुँचाना।
- पैरा लीगल वॉलंटियर्स (PLVs) का एक प्रशिक्षित एवं प्रतिबद्ध दल तैयार करना, जो शहरी, ग्रामीण एवं जनजातीय क्षेत्रों में कानूनी सिपाही के रूप में कार्य करें।
- महिलाओं, बच्चों, वरिष्ठ नागरिकों, दिव्यांगजनों, विचाराधीन बंदियों तथा अन्य कमजोर वर्गों की आवश्यकताओं पर विशेष ध्यान देते हुए, नालसा की योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित करना।
- एक उत्तरदायी, सुलभ और प्रभावी विधिक सेवा प्रणाली के निर्माण के माध्यम से सामाजिक न्याय, समानता एवं सशक्तिकरण के मूल्यों को कायम रखना।